Thursday, June 30, 2011

प्रवाल चोरों की धर-पकड़

प्रातःकाल का समय था और अली स्कूल जाने की तैयारी में अपना बैग पैक कर रहा था, और जल्दी-जल्दी नाश्ता खा रहा था। उसका स्कूल अंडमान के एक द्वीप में उसके घर से करीब दो कि.मी.दूर था। लेकिन वह पिछले दस सालों से यह दूरी आराम से हर रोज तय करता आ रहा था। जिस रास्ते से वह जाता था वह इसके गाँव से होकर लगभग उसके स्कूल के पास तक समुद्र तट को छूता था। वह अक्सर पानी के किनारे तक घूमता हुआ चला जाता, खास कर घर लौटते समय, और एकान्तवासी केकड़्रों का उनके बिल तक पीछा करता अथवा किनारे तक शायद बहकर आये हुए तारामीन को खोजता-फिरता।
अली को, कुछ सप्ताह पूर्व पर्यावरण सम्बन्धी कुछ लोगों द्वारा समुद्र तट पर क्लास लिये जाने तक, प्रकृति के संसार के बारे में बहुत कम जानकारी थी। वहाँ उसे और उसके सहपाठियों को उनके चारों और फैले असंख्य समुद्री प्राणियों को दिखाया गया। उन सब ने स्नोकल्स की मदद से प्रवाल भीत्तियों तथा उनके सहारे जीनेवाले प्राणियों को देखा। उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि प्रवाल वास्तव में जीवित प्राणी होता है। जो उन्हें निर्जीव कड़े चट्टानों के समान उपनिवेश मालूम पड़ते थे वे वास्तव में कछुए की खोपड़ी की तरह जीवों की रक्षा करनेवाले कंकाल थे। उन्हें भि-भि प्रकार के प्रवाल और प्रवाल उपनिवेशों के चारों ओर फैले शुकमीन, अनिल पुष्प, तारामीन, सर्पमीन आदि दिखाये गये। वे यह सब देखकर भय-चकित थे। अली को ‘क्रिसमस ट्रीज' नाम के छोटे-छोटे प्राणी विशेष रूप से पसन्द आये जो उसे उतने ही रंग-बिरंगे और विविध लगे जैसा उसने चित्र की पुस्तकों में अलंकृत और उपहारों से लदे वृक्षों को देखा था। ये जीव प्रवालों से चिपके हुए थे और अली ने उन्हें छूने के लिए जब अपना हाथ रखा, वे तुरन्त पीछे हट गये मानों उन्हें खतरे का भान हो गया हो!


अली को पर्यावरण के शिक्षकों से यह सुनकर कि हमलोगों के पास कितनी प्राकृतिक सम्पदा है, गर्व महसूस हुआ। प्रवाल भीत्तियाँ मुख्य रूप से लाक्षाद्वीप, कच्छ की खाड़ी तथा मार और अंडमन निकोबर द्वीपों में पाई जाती हैं। लेकिन उनके व्याख्यानों से जब अली को यह पता चला कि कैसे पर्यटक अपने ड़ाड़ंग रूम को सजाने के लिए प्रदर्शन पदार्थ के रूप में लापरवाही से इसे तोड़्रकर घर ले जाते हैं, कैसे गन्दी नालियों के पानी तथा औद्योगिक रसायन और तेल-उत्प्लवन प्रवाल भीत्तियों को नष्ट कर रहे हैं, तब उसे यह जानकर बहुत दुःख हुआ।
‘‘यदि हमारे द्वीपों को बचाना है तो इन्हें बचाना होगा, क्योंकि ये समुद्री भूक्षरण से हमारे द्वीपों की रक्षा करते हैं,'' एक पर्यावरण शिक्षक ने कहा।
धूप निकल आई थी और दिन गरम था। अली स्कूल के लिए निकल पड़ा। जब वह कुछ दूर गया, उसे एक सफेद कार दिखाई पड़ी। उस द्वीप पर बहुत गाड़्रियाँ नहीं थीं। वह कार अनजानी सी लगी। उस कार के पास तीन आदमी थे जो कार के पिछले हिस्से में कुछ लादने में व्यस्त थे। जब अली कार के पास आया तो वह यह देख कर हैरान रह गया कि कार की सामान धानी सब तरह के प्रवालों से ठसाठस भरी है। जब अली ने उनसे पूछताछ की कि वे कौन हैं और वे क्या कर रहे हैं, तब उनमें से एक ने उसे घूंसा मारा और धकेल दिया। फिर वे तीनों जल्दी से कार में कूद कर रफ्फू चक्कर हो गये।
अली ने तुरन्त अपने पैरों पर खड़ा होकर भागती हुई कार को देखा। उसे अपने आप को संभालने में कुछ मिनट लग गये। उसे आज तक किसी ने धक्का नहीं दिया था पर इससे भी अधिक प्रवाल की चोरी का दृश्य देखकर उसे क्रोध आ गया।
‘‘मुझे इसकी रिपोर्ट अवश्य करनी चाहिये। अवश्य!'' उसने निश्चय किया और वह गाँव की ओर वापस लौट गया।

उसने अपने गाँव की पंसारी-दुकान से सायकिल माँगी और अपना बस्ता हैन्डिल में डालकर वह पड़ोसी गाँव की ओर चल पड़ा। वह चार कि.मी. की दूरी यथा सम्भव तेजी से तय करते समय सिर्फ एक ही विचार को अपने मन में दुहराता रहा, ‘‘यदि हमारे द्वीपों को सुरक्षित रखना है तो इन प्रवालों को सुरक्षित रखना होगा।'' उसे पर्यावरण शिक्षक के ये शब्द याद थे।
पड़ोसी गाँव में अली सीधा उस दुकान पर पहुँचा जहाँ एक मात्र फोन बूथ था। उसने पर्यावरण शिक्षकों को, जो उसके स्कूल में आये थे, फोन पर (संयोग से उनके फोन न.उसके बैग में थे) बताया कि उसने एक सफेद कार में लदे हुए ढेर सारे प्रवाल देखे हैं। फिर वह अपने गाँव लौट कर उसने सायकिल वापस दे दी।
अगले दिन उसके स्कूल में बहुत से आगन्तुक आये। हेडमास्टर ने पर्यावरण शिक्षकों के अतिरिक्त एक स्थानीय सरकारी अधिकारी को और स्थानीय समाचार पत्र के दो पत्रकारों को बुलाया था। एक पर्यावरण शिक्षक ने जिसने अली का फोन सुना था, पिछले दिन की घटना का विवरण क्लास को सुनाया। कार का विवरण पुलिस को दे दिया गया जिसने तुरंत अपने सभी चेक पोस्टों पर यह खबर भिजवा दी। प्रवाल के साथ कार पकड़्र ली गई और यह रहस्य खुला कि वे इसे बेचने के लिए कोलकाता भेजने की योजना बना रहे थे।
पूरा क्लास अली की साहसिक करामात पर उसकी वाह वाह करने लगा। और उसकी वाह-वाह तब और गूँजने लगी जब पत्रकारों ने उसके साथ भेंट वार्ता की और उसके फोटो लिये।
‘यह मेरे लिए एक महान दिवस है, पर इससे भी महान दिवस है प्रवाल भीत्तियों के लिए।' अली ने सोचा।


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