चारुलता और हेमलता अड़ोस-पड़ोस में रहती हैं। दोनों अधेड़ उम्र की हैं। शिक्षित भी हैं। उनके पति कुशल व दक्ष हैं, इसलिए व्यापार करते हुए खूब कमा रहे हैं। जब उनके पति अपने-अपने काम पर चले जाते हैं, तब वे जल्दी-जल्दी अपने घर के काम निबटाने में जुट जाती हैं। घर के काम पूरा होते ही, दोनों औरतें, किसी न किसी के चबूतरे पर बैठ जाती हैं और गपशप करती रहती हैं। देखने में वे दोनों बहुत गहरे दोस्त लगती हैं, पर एक-दूसरे का मज़ाक उड़ाने का मौक़ा ढूँढ़ती रहती हैं।
एक दिन शाम को आराम से बैठकर बातें करते समय, अपने पति के बारे में बोलती हुई चारुलता ने कहा, ‘‘इधर कुछ समय से मेरे पति मेरे प्रति पहले की तरह प्रेम नहीं दिखा रहे हैं, मेरा आदर नहीं कर रहे हैं।’’ हेमलता ने मन ही मन सोचा कि इसे चिढ़ाने का यह अच्छा मौका है। इसलिए उसने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘क्या ऐसी बात है? किन्तु देखा, मेरे पति का बर्ताव। तुम्हारे पति के बर्ताव के बिलकुल विरुद्ध। पहले से भी ज्यादा वे मेरे प्रति और प्रेम दिखा रहे हैं, मेरा आदर कर रहे हैं। आये दिन कुछ न कुछ मेरे लिए भेंट ला रहे हैं।’’
यह सुनते ही चारुलता ने तपाक से कहा, ‘‘हाँ, हाँ, क्यों नहीं। तुम्हारे पति पुरावस्तुओं के व्यापारी जो ठहरे।’’ इस पर हेमलता को कोई जवाब देते न बना।
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