Saturday, July 2, 2011

फॉंसी के तख्ते ने उसकी जान बचाइ

जिम और बिल बकले नजदीक के शहर से घर लौट रहे थे । अचानक दो व्यक्तियों ने, जो झाड़ियों की ओट में छिपे हुए थे, उन पर हमला कर दिया । बिल की छाती में गोली लग गई थी इसलिए वह घोड़े पर से गिर कर वहीं मर गया । जिम किसी तरह बच कर भाग निकला। आह, दोनों भाई अपनी रक्षा नहीं कर सके, क्योंकि जान मारने की अनेक धमकियों के बावजूद वे निहत्थे थे ।

यह घटना अमेरिका में मिसिसीपी, कोलम्बिया के मेरियन काउण्टी में घटी । ऐसा मालूम होता है कि 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में व्हाइट कैप्स नाम का एक गुप्त गिरोह उस इलाके के गरीब बागान मालिकों को हमेशा धमकाया और परेशान किया करता था । उनका एक आखिरी शिकार एक निग्रे था । उसने एक विधवा के फार्म पर की नौकरी छोड़ कर बकले भाइयों के यहॉं काम शुरू किया, क्योंकि इन्होंने उसे अधिक वेतन देने का वादा किया था । उसने उन जालिमों का नाम बताया जो उसे तंग कर रहे थे । जिम और बिल ने वादा किया कि वे इसकी शिकात पुलिस में और शहर के ग्रैण्ड जूरी को करेंगे ।

उन बदमाशों ने दोनों भाइयों को धमकी दी कि यदि उन्होंने ऐसा किया तो उन्हें जान से मार दिया जायेगा । लेकिन जिम और बिल ने दृढ़ निश्चय कर लिया था और वे अधिकारियों के पास गवाही देने चले गये । इसका बुरा नतीजा यह हुआ कि दोनों में से एक को अपनी कीमती जिन्दगी से हाथ धोना पड़ा ।
जिम को अपने भाई के हत्यारे की पहचान करने के लिए कहा गया । उसने विल परविस नाम के एक युवक किसान का नाम बताया जो एक पुराने सम्मानित घराने से सम्बन्धित था जिसके नाम से निकटस्थ नगर परविस प्रसिद्ध हो गया था।


सन्दिग्ध व्यक्ति को तुरन्त बन्दी बना लिया गया । मामला अदालत में पेश किया गया । विल के तीन पड़ोसियों और दो रिश्तेदारों से बयान लिया गया । उन सब ने गवाही दी कि हत्या के समय आरोपी घर पर था । उसकी बन्दूक भी बहुत दिनों से प्रयोग में नहीं लाई गई थी । लेकिन जजों को उनकी गवाही पर शक था । इसलिए विल परविस को फॉंसी की सजा दे दी गई । उसे मौत आने तक फॉंसी के तख्ते पर लटकाया जाना था । ऊँची अदालतों में उसकी अपील को नामंजूर कर दिया गया ।

विल परविस के सभी परिचित लोग चकित थे, क्योंकि उन्हें यह कभी विश्वास नहीं होता था कि वह ऐसा अपराध कर सकता है । गिरजा घर का धर्मगुरु जेल में उससे मिलने गया । उसने भी महसूस किया कि दण्डित व्यक्ति निर्दोष है । फॉंसी की पूर्व-रात्रि में वह पुनः उससे मिलने आया । उसने देखा कि उसे जमीन से लगा कर जंजीर में बांध दिया गया है लेकिन वह शान्त है । ऐसा बताया गया कि उसने पादरी से कहा, ‘‘मुझे अपनी आत्मा की नियति को लेकर कोई चिन्ता नहीं है ।’’

दूसरे दिन का सवेरा आया । 7 फरवरी 1894 । हजारों स्त्री, पुरुष, बच्चे चौक पर एकत्र थे । शेरीफ़ और उसके सहायकों ने दो-दो बार हर चीज़ की यह जॉंच कर ली कि फॉंसी के लिए सब ठीक-ठाक है । विल परविस, 21 वर्षीय युवा किसान को धीर-धीरे लकड़ी के मंच पर लाया गया । शेरीफ़ ने, जिसने उसे कैद किया था और जिसे उसके अपराध पर कभी शक नहीं हुआ, निष्ठुरता पूर्वक पूछा, ‘‘विल! क्या तुम्हें इस आखिरी घड़ी में कुछ कहना है?’’

बड़ी ही शान्त और संयमित आवाज में दण्डित व्यक्ति ने घोषित किया, ‘‘मैंने कुछ नहीं किया! लेकिन जो लोग बाहर खड़े हैं वे मुझे बचा सकते हैं, यदि वे चाहें ।’’ लेकिन अफसोस! विल परविस को बचाने कोई नहीं आया । उसके हाथों को पीठ के पीछे करके तथा उसके दोनों पैरों को मिला कर बॉंध दिया गया ।


उसके सिर पर एक काला टोपा रख दिया गया । फॉंसी का फन्दा सावधानी से उसकी गर्दन में डाल दिया गया । तब जब भीड़ सांस रोक कर प्रतीक्षा कर रही थी, शेरीफ ने जल्दी से कहा, ‘‘भगवान तुम्हारी सहायता करे, विल परविस’’, और लिवर को घुमा दिया ।

सब कुछ क्षणों के लिए शान्त खड़े थे, लगभग पथराये हुए । वास्तव में, वे अपनी आँखों पर विश्वास न कर सके । उनके सामने, खुले फर्श-दरवाजे के ऊपर एक खाली फॉंसी का फन्दा सवेरे की शीतल हवा में झूले की तरह झूल रहा था । विल परविस कहॉं गया? वह फॉंसी के तख्ते के नीचे फर्श पर पड़ा था, बेहोश किन्तु सॉंस अब भी चल रही थी । काला टोप अब भी उसके सिर पर पड़ा था और उसके हाथ-पॉंव अभी भी मजबूती से बंधे थे । यह कैसे हो गया? वह फन्दे से निकल कर कैसे नीचे गिर पड़ा? यह एक ऐसा रहस्य था जिसने सबको चकित कर दिया ।

अधिकारीगण उसे दूसरी बार लटकाने के लिए फॉंसी के तख्ते की ओर खींच कर लाने लगे । किन्तु धर्मगुरु ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विधाता के हाथ ने उसे बचा लिया है । अब उसे पुनः फॉंसी कैसे दी जा सकती है? भीड़ ने चिल्लाते गाते और नाचते हुए और चमत्कार के लिए भगवान का गुणगान करते हुए पादरी के प्रयास का साथ दिया । शेरीफ किंकर्त्तव्यविमूढ़ हो गया और भीड़ की बढ़ती हुई उत्तेजना के भय से उसने आरोपी को फिर से जेल में डाल दिया ।
लेकिन गवर्नर नाराज हो गया । विल परविस को अपराधी पाया गया था । उसे मृत्यु होने तक लटकाने की सजा दी गई थी । यदि वह बच गया तो उसे पुनः लटकाया जाना चाहिये था । यह उसकी सीधी-सादी दलील थी । विल के वकीलों ने राज्य के सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सरगर्मी से अपील की लेकिन दुर्भाग्यवश शीर्ष अदालत ने उसे नामंजूर कर दिया ।

इसलिए विल परविस को, एक चमत्कार द्वारा निश्चित मृत्यु से बच जाने के लगभग दो वर्षों के बाद, सन् 1895 में 12 दिसम्बर को दूसरी बार फॉंसी पड़ने वाली थी । आरोपी इस फैसले से क्षुब्ध नहीं हुआ और शान्त और अविकल बना रहा । उसे विश्वास था कि जिस शक्ति ने उसे एक बार बचाया है, वह शक्ति उसे दूसरी बार भी बचायेगी।

कोई नया सबूत नहीं मिला । अन्त में सरकार ने उसे कोलम्बिया के जेल से उसके अपने शहर परविस के छोटे से जेल में स्थानान्तरित कर दिया, जिससे वह अपने जीवन के अन्तिम कुछ सप्ताहों में अपने परिजनों के निकट रह सके ।


आधी रात थी । दूसरी बार फॉंसी पड़ने में एक-दो दिन शेष थे । तभी जेल पर एक भीड़ टूट पड़ी और पहरेदारों पर काबू पाकर विल परविस को घुड़ा कर ले गई । गवर्नर आगबबूला हो उठा । उसने आरोपी को पकड़ने और उसे छुड़ाने वालों की जानकारी देनेवाले के लिए बड़ा इनाम घोषित किया । किसी ने इनाम का दावा नहीं किया जबकि उस छोटे से शहर परविस के अधिकांश लोग जानते थे कि बचानेवाले कौन हैं और यह भी कि विल परविस वास्तव में पहाड़ियों के पार जंगल में अपने परिवार के साथ रह रहा है ।

वर्तमान गवर्नर की अवधि पूरी हो गई । उसके उत्तराधिकारी ने अपने चुनाव प्रचार के समय विल की सजा को कम कर देने का वादा किया था । विल परविस ने आशा छोड़ दी थी । नये गवर्नर ने कार्यभार संभालने पर अपने वादे के अनुसार उसकी सजा को मामूली आजीवन कारावास में बदल दिया ।

दो साल के बाद, हजारों नागरिकों द्वारा, जिसमें वह जज भी शामिल था जिसने विल परविस पर मुकदमा चलाया था, हस्ताक्षर करके याचिका दायर की गई । अन्त में अभियोगी को क्षमा दान देकर मुक्त कर दिया गया । वह अपने फार्म में फिर काम पर लग गया । शीघ्र ही उसका विवाह गिरजा घर के धर्मगुरु की बेटी के साथ हुआ । कुछ ही वर्षों के बाद उन्हें ग्यारह छोटे-छोटे बच्चों के माता-पिता कहलाने का गौरव प्राप्त हुआ ।

बिल बकले की हत्या किसने की, यह एक रहस्य बना रहा! कई वर्ष बीत गये । एक दिन जो बियड नाम का एक वृद्ध बागान-मालिक मृत्यु-शैय्या पर पड़ा था । उसने बड़े दुख के साथ स्वीकार किया कि उसने व्हाइट कैप्स के एक अन्य सदस्य के साथ मिल कर बकले की हत्या की थी । इस खबर से उस पूरे इलाके में सनसनी फैल गई । सरकार ने गलती के लिए माफी मॉंगी और पॉंच हजार डालर्स का हरजाना विल परविस को दिया गया । क्या पहचान करने में गलती के कारण जिम बकले ने विल परविस को अपने भाई का हत्यारा बता दिया?

क्या यह मात्र संयोग था कि विल परविस एक सुनिश्चित मृत्यु से बच निकला? या जैसाकि उसका स्वयं का और उसके शुभ-चिन्तकों का दृढ़ विश्वास था कि चमत्कार उसकी अटल निष्ठा और सच्ची प्रार्थनाओं के उत्तर में दी गयी भागवत-कृपा का परिणाम था?


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