Saturday, July 2, 2011

गोविंद की अ़क्लमंदी

गोविंद एक सामान्य किसान था। बैलों की उसकी एक जोड़ी थी। एक दिन वह शाम को खेत का काम पूरा करके घर लौटा। फिर उसने बैलों को पानी पिलायी, हरी घास खिलायी और झोंपडी में बांध दिया। पर, जब वह सबेरे झोंपडी में गया, तब उसने देखा कि वहाँ अब एक ही बैल है। उसकी समझ में नहीं आया कि आख़िर दूसरा बैल गया कहाँ। वह बहुत परेशान हो उठा। उसने बहुत ढूँढा, पर दूसरे बैल का पता नहीं चला।
वर्षा ऋतु का प्रवेश हुआ। जमीन जोतनी है, पर भला एक ही बैल से कैसे जोते। यह तो संभव नहीं है, इसलिए गोविंद ने पशुओं की हाट में दूसरे बैल को खरीदने का निश्चय किया।
गोविन्द के बैल को एक चोर ले गया था। वह भी हाट में उसे बेचने गया।
गोविंद एक अच्छे बैल को खरीदने के लिए हाट में घूमने-फिरने लगा। उसे एक जगह पर अच्छा और मज़बूत बैल दिखायी पड़ा। गोविंद उसके नज़दीक गया तो उसके आश्चर्य की सीमा न रही। वह उसी का बैल था।
बैल बेचनेवाले से उसने कड़े स्वर में कहा, ‘‘यह सरासर धोखा है। तुम आख़िर हो कौन? यह तो मेरा बैल है। चार सालों से यह मेरे पास है और इसी की सहायता से खेती कर रहा हूँ।''
गोविंद की बातें सुनते ही, चोर पहले घबरा गया, पर अपने को संभालते हुए उसने कहा, ‘‘दिन दहाडे झूठ बोले जा रहे हो। यह बैल चार सालों से तुम्हारे पास था, एकदम झूठ। यह बैल तो पाँच सालों से मेरे पास है। इसी की सहायता से खेती करता आ रहा हूँ। बेटी की शादी के लिए रक़म की ज़रूरत पड़ी, इसीलिए इसे बेचने ले आया।''
गोविंद सोच में पड़ गया कि अब क्या करूँ। हाट में आये कुछ लोग वहाँ इकठ्ठे हो गये और जानना चाहा कि असल में झगड़ा किस बात को लेकर हो रहा है। झगड़े का कारण जानने के बाद वहाँ इकठ्ठे लोगों में से एक ने गोविंद से पूछा, ‘‘बेकार झगड़ते क्यों हो? तुम्हारे पास क्या कोई सबूत है कि यह बैल तुम्हारा है?''

‘‘सबूत चाहिये?'' कहते हुए गोविंद ने अपने कमर से तौलिया निकाला और उससे बैल की दोनों आँखों को ढ़कते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारा दावा है कि यह बैल तुम्हारा है। मेरे बैल की एक आँख अंधी है। बताना, कौन-सी आँख अंधी है?''
यह सवाल सुनते ही चोर घबरा गया। अगर ग़लत बताये तो उसे चोर ठहरायेंगे। उसके पालतू कुत्ते की बायीं आँख अंधी है। उसे यह याद आ गया और उसने कह डाला, ‘‘मेरे बैल की बायीं आँख अंधी है।''
गोविंद, उसके जवाब पर ठठाकर हँस पड़ा और तौलिये को बैल की बायीं आँख से हटाते हुए उसने वहाँ उपस्थित लोगों से कहा, ‘‘आप लोग खुद देख लीजिये। इस बैल की बायीं आँख कितनी अच्छी है।''
चोर भागने के उद्देश्य से इधर-उधर देखने लगा और घबराहट-भरे स्वर में कहने लगा, ‘‘हाँ, मैंने ग़लत कह दिया। मेरे बैल की बायीं नहीं, दायीं आँख अंधी है।''
‘‘दायीं हो या बायीं, तुम्हारे बैल की एक आँख अंधी है न?'' गोविंद ने पूछा।
‘‘हाँ, हाँ, इसमें कोई संदेह नहीं। मेरे बैल की एक आँख अंधी है,'' चोर ने कहा।
गोविंद ने बैल की आँख से तौलिया हटा कर चोर से कहा, ‘‘अरे बदमाश, मेरा बैल अंधा है ही नहीं । देखो, उसकी दोनों आँखें कैसे चमक रही हैं।'' उत्साह से उसने कहा।
फौरन लोगों ने चोर को कसकर पकड़ लिया। जब वह अपने को छुडाने की कोशिश करने लगा, तब ज़मींदार के नौकर वहाँ आ धमके। उन्होंने उसके दोनों हाथों को बाँध दिया और उसे खींचते हुए दिवान के पास ले गये।
गोविंद फिर से अपने बैल को पाने में सफल ही नहीं हुआ बल्कि चोर को भी पकड़वाया। लोगों ने उसकी अ़क्लमंदी की बहुत तारीफ़ की।

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